Sunday, January 31, 2010

दिल


तू ही बता,ऐ दिल मेरे,
मैंने तो हमेशा तेरा ही कहाँ माना हैं |

मेरे इस दीवानेपन को क्या समझूँ ?
लगता हैं मैंने इश्क को कहाँ जाना हैं??

हजारों सपने बोये मैंने,
पर शायद फूलों को तो,
सिर्फ काँटों को साथ निभाना हैं|

जहाँ गीतों की महफ़िल सजनी थी,
वहां सिर्फ सन्नाटो का ठिकाना हैं||

यह कैसा इन्साफ हैं?
इश्क की तपिश में जलता सिर्फ परवाना हैं|

कोई इसे पागल समझे,
या कोई कहे दीवाना हैं||

ऐ दिल अब तू ही बता!!
सिर्फ तुने ही इस मासूम से इश्क को
अछे से जाना हैं ,जाना हैं ||

Friday, January 22, 2010

यादें

सपने संजोया करती हैं जो आँखें,
उनमे बीतें पलों की सिर्फ तस्वीर रह जाती हैं |
रूठा हो खुदा,तो बड़ी से बड़ी उम्मीद ढह जाती हैं||
जज्बा-ऐ-इश्क न हो,तो सिर्फ बातें कहीं जाती हैं|
वक़्त गुजर जाने के बाद तो सिर्फ यादें रह जाती हैं||

इस कमजोर दिल को समझाने के लिए,
जिंदगी झूठी तस्सलियाँ दिलाती हैं|
ये ख्वाहिशें ही तो हैं,जो धीमे धीमे से
जिंदगी रंगीन बनती हैं||
पर किसी न किसी मोड़ पर,हकीक़त हम पर मुस्कुराती हैं |
वक़्त गुजर जाने के बाद तो सिर्फ यादें रह जाती हैं...

Wednesday, January 20, 2010

ख़्वाब

कल रात दिल के दरवाजे पर एक दस्तक हुई ,
दिल घबराया की इतनी रात कौन आया हैं??
कंपकपाते मन के साथ दरवाजा खोला,
देखा तो एक खूबसूरत ख्वाब आया था||
मेरे खोये हुए इश्क को अपने साथ लाया था,
वो आँखें जिन्होंने हमें जीना सिखाया था|
वो "लब" जिन्होंने इन आँसुओं को जज्बात बताया था ,
जिसने,मेरी खुशियों को अपनी मुस्कान बनाया था ||
वो ख़्वाब,खुद चलकर,मेरे पास आया था|
तभी किसी आवाज़ से नींद टूटी,
देखा तो,कमरे में कोई न था||
ख़्वाब था शायद,खूबसूरत ख़्वाब लाया था!!!

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails