Friday, July 30, 2010

वक़्त


जो वक़्त की क़द्र न करे |
उसकी क़द्र वक़्त क्या करे ||

Sunday, July 25, 2010

कच्चे धागे


दो कदम पर ही साथ छुट गए,
कच्चे धागे थे ,सारे टूट गए|
जो निभा सके,वो चले आये,
बाकी सब सारे रूठ गए||

दिल वाले सारे जालिम थे,
घर बसाये,दिए जलाये,
और न जाने कितने सपने दिखाए|
फिर वक़्त आने पर,खुद ही उसको लूट गए||

समझ न आया की क्या करूँ?
हम तो हरियाली में भी ठूंठ गए|
खुद की हकीक़त से रूबरू हुए,
तो अश्कों के धारे फुट गए||

अब उदासी का क्या फायदा,
अब तो मौके भी हम से रूठ गए|
शायद वो आये थे मेरे मौके को भी मौका देने,
पर तब तक हम ही कहीं पीछे छुट गए||

कच्चे धागे थे शायद,टूट गए....टूट गए ...

Friday, July 16, 2010

तलाश


मंजिलो की भीड़ में बस राहों की तलाश हैं,
गले लगाये,हौंसला बढाए, ऐसी बाहों की तलाश हैं|
सब कुछ पाकर भी दिल में कुछ बैचैनी सी हैं,
दो पल सुकून दिला दे, बस ऐसी निगाहों की तलाश हैं||

ख्वाबों की रंगीन दुनिया में तो आसमान भी छु लूँ ,
बस इन ख्वाबों को हकीक़त बना दे, ऐसी दुआओं की तलाश हैं |
आशाओं के पंखों से जो उड़ना सिखा दे, ऐसी हवाओं की तलाश हैं|
इस "आज" से उस "कल" के अंश को हटा दे,ऐसी घटाओं की तलाश हैं|
मुझे तो बस दो पल सुकून दिला दे, ऐसी निगाहों की तलाश हैं||

इश्क का तो क़त्ल हुआ, बस गवाहों की तलाश हैं|
बोझिल होती आँखों में अब जीने की नहीं कोई आस हैं|
ऐ जिंदगी! तू किस मोड़ पर हैं आ खड़ी?
की अब जीने के लिए साँसों को भी नई साँसों की तलाश हैं||

धर्म, कर्म के इस बवंडर में, हर एक को, अपनी दिशाओं की तलाश हैं|
भूल गए सब रिश्ते नाते,बस आगे बढ़ने की प्यास हैं|
कौन अपना कौन पराया,सिर्फ लोभ की मिठास हैं|
हें जिंदगी! मुझे तो बस दो पल सुकून दिला दे,ऐसी निगाहों की तलाश हैं ||

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