Monday, February 21, 2011

मेरी फितरत से जरा बच के रहना दोस्तों...!

जो खुद को जला कर खुश होते हैं ...
मैं उन हैवानो की बस्ती से आया हूँ...!

उस जमीन को लेकर लड़ते हैं ,
जो उनकी खुद की नहीं ...
मैं उन मेहमानों की बस्ती से आया हूँ ...!

खुदा के नाम पे जो खून बहा दे ..
मैं उन दीवानों की बस्ती से आया हूँ ...!

इश्क में भी जो ढूंढे जात पात
मैं उन आशिको के घुटते,
अरमानो की बस्ती से आया हूँ ...!

मेरी फितरत से जरा बच के रहना दोस्तों...
मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!

मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!

Wednesday, February 2, 2011

जिन रिश्तों को हम सर्द समझते रहे ...!


हम लोगो के दर्द समझते रहे ..
और लोग हमें बेदर्द समझते रहे .. !

मेरे दुश्मन भी वो लोग निकले ...
जिन्हें अपना हमदर्द समझते रहे ...!

हमें क्याँ मालूम था की इश्क वहाँ से मिलेगा
जिन रिश्तों को हम सर्द समझते रहे ...!

हम तो खामोखा उनको बेदर्द समझते थे ...
पर वो थे जो चुपके से मेरा दर्द समझते रहे ...!
मेरा दर्द समझते रहे...!

Tuesday, February 1, 2011

इश्क दोनों तरफ हो तो मज़ा देता हैं...
पर एक तरफ़ा इश्क सिर्फ सज़ा देता हैं...!
जब दिल टूटेगा,
तो मेरी याद आएगी...
किसी अपने का सोचोगी,
तो मेरी बात आएगी...
तुने मुझे छोड़ दिया ,
...यह तो मैं सह गया...
पर क्या मैंने तुझे छोड़ दिया?
तो तू सह पायेगी?
तेरे सच और मेरे सच में बस फर्क इतना था....
की तू झूठ को सच बनाने पे उतारू थी...
और मैं सच को सच बताने पे...

मुझे मुस्कुराये ज़माने हो गए ...!

वो कागज़ जिसपे तेरे प्यार के नगमे लिखे थे ....
अब वो पुराने हो गए ...!

उन पुरानी तस्वीरो को देखता हूँ तो याद आता है ...
की मुझे मुस्कुराये ज़माने हो गए ...!

तुझे भूलने की बहुत कोशिश करता हूँ ...
पर अब तो यह तेरी याद के बहाने हो गए ...!

वो किताबो में रखा,तेरा दिया फूल,मुरझा गया हैं ...
अब तो मेरे अपने भी मुझसे बेगाने हो गए ...!

हमने सजाया था इन ख्वाबो को शामियाने की तरह ...
पर तुने यह क्या किया?यह तो उजड़े महखाने हो गए ...!

लोग हँसते हैं मेरी इस हालत पे ...खेर खुश होगी तू ?
अब मेरी बर्बादी के किस्से भी फ़साने हो गए ..!

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