Sunday, March 27, 2011

टीम जीतती नहीं हैं ..जीताना पड़ता हैं ...!


हिन्दुस्तानी हैं हम
जीत कर दिखायेंगे...!

चाहे कुछ भी हो जाये,
कप तो अब हम ही लायेंगे|
टीम जीतेगी नहीं तो क्या,
हम जीतायेंगे |

हिन्दुस्तानी हैं हम
जीत कर दिखायेंगे...!

दुनिया के युवराज हैं हम
अब 28 साल के इंतज़ार को,
हम मिटायेंगे|
मोहाली में पाक को..,
और वानखेड़े में हर नापाक को,
हम धुल चटायेंगे |

हिन्दुस्तानी हैं हम
जीत कर दिखायेंगे...!

Friday, March 25, 2011

कभी यूँ भी तो हो ....!

कभी यूँ भी तो हो ..

की मेरी तरह इश्क,
उसे मुझसे हो जाये |
एक पल की दूरी भी,
अब सही न जाये |
बातें आखों से हो,
और कुछ कहा न जाये |
इतनी बेचैन वो भी हो,
की मेरे सिवा अब,
उससे भी रहा न जाये |

कभी यूँ भी तो हो ....!

की मैं जब भी,उसे याद करूँ,
उसे भी मेरी,याद आ जाये |
इश्क की,जब भी बात चले,
तो जुबाँ पे,मेरा नाम आ जाये |
दो कदम,मैं आगे बढूँ ,
तो वो भी,
मेरी साथ आ जाये ..!
कुछ तो,खुदा..! ऐसा कर,
के मेरे पे,उसके इश्क की,
बरसात आ जाये ...!

कभी यूँ भी तो हो ....!

Wednesday, March 23, 2011

तू साथ दे ..!

तू साथ दे ..
तो मैं जीत लूँ ,
सारा जहाँ...!
तू हाथ दे ..
तो मैं थाम लूँ,
ये आसमान...!
तू प्यार दे ..
तो मैं मिटा दूँ ,
ये दूरियाँ...!
तू माँग ले ..
तो मैं बना दूँ
ये जन्नत यहाँ ...!

Friday, March 18, 2011

शहज़ादी...!



धुप सुनहरी जब घट जाती हैं,
जब इंतज़ार में घड़ियाँ कट जाती हैं |
जब चढ़ने लगता हैं,
उसका नशा फिजा पर भी |
तब चुपके से,कही दूर से,
एक शहज़ादी आती दिखती हैं |

यह हवाएँ महकने लगती हैं,
यह घटाये चहकने लगती हैं |
यह फ़राज़ भी सिंदूरी हो जाता हैं,
यह मौसम भी गुनगुनाता हैं |

सब कुछ थम सा जाता हैं,
सब कुछ बदल सा जाता हैं |

मेरे चेहरे पे देखो,
वो ख़ुशी कुछ अलग सी होती हैं|
हर रोज़ मेरे इश्क में,
एक नयी ललक सी होती हैं |
यह दिल की धड़कन देखो,
कैसे यु बढ़ जाती हैं !
इस मुस्कराहट को देखो ,
कैसे छुट ती जाती हैं !
यह सब कुछ सपना लगता हैं,
पर फिर सब कुछ अपना लगता हैं|
वो चुपके से ,तुम जो आ जाती हो..|
तुम जो आ जाती हो ....!|

Tuesday, March 8, 2011

ख़ता

हमसे यह कैसी ख़ता हो गयी
नाम उसका अब मेरी दुआ हो गयी...!

बंद आँखों से ही देखो रज़ा हो गयी
एक पल की दूरी भी अब सज़ा हो गयी ...!

इसको क्या मैं प्यार कहू ?
की अब वो मेरी हर ख़ुशी की वजह हो गयी ...!

Sunday, March 6, 2011

सुकून

कैसी ख्वाहिश हैं मेरी
कैसा यह जुनून है ...!
इश्क ऐसे दौड़ता हैं रगों मे
जैसे यह खून हैं ...!
उन कोनो में भी उजाले ढूंड लेता हूँ
जहाँ गलियां भी सुन हैं ...!
मुश्किलें हैं ...!
पर अब वो भी मुझसे इश्क करने लगी हैं
मुझे बस इसी बात का सुकून हैं ...!

तुम...!

मेरी कमजोरी भी तुम
और ताकत भी...!
मेरी नादानी भी तुम
और नज़ाकत भी ...!
मेरी सजा भी तुम हो
और शिकायत भी ...!
क्या कहूँ तुमको ?
मेरी बेचैनी भी तुम हो
और राहत भी ..!

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