
कलम चले तो वक्त का सीना फाड़ दे,
कलम रुके तो इतिहास का पहाड़ दे|
कलम में इतना पैनापन हैं,
की जब लड़े,सताओ को उखाड़ दे ||
कलम!सच का हमेशा साथ दे,
कलम!खुशियों की फुहार दे|
कलम !कमजोर को अपनी ढाल दे,
कलम!अकेलेपन से पार दे|
जब भी चले मेरी कलम!
मुसीबत को हुँकार दे||
कलम !जज्बात कागज़ पर उतार दे,
कलम !खूबसूरती को निखार दे|
कलम !हकीकत को उभार दे,
कलम !देश को अभिमान दे||
मेरे लिए बस यही दुआ करो,
जब भी चले मेरी कलम,
सच्चाई का प्रमाण दे||