काफी अरसे बाद
सोचा के कुछ
फिर से लिखा जाये
ये खालीपन,
ये दीवाना मन
कही तो यू कागज़ पर
उतारा जाये ..
क्यों न कुछ
खामोशियो को
जुबान दूँ
कुछ बेचैनियो को
नए आयाम दूँ
कुछ ज़ख्मो पर,
जिन पर खुरंट पड़ा है
सोचता हूँ, क्यों न उनको
फिर से उभार दूँ
क्यों न उन्हें भी आज
कागज़ पर उतार दूँ ..
आज आखिर वक़्त मिला तो
सोचा चंद शब्द
दिल की किताब
से लेकर लिख लूं
पर कुछ बातों को कागज़ पर
उतार पाना शायद मुमकिन नहीं होता ! !
सोचा के कुछ
फिर से लिखा जाये
ये खालीपन,
ये दीवाना मन
कही तो यू कागज़ पर
उतारा जाये ..
क्यों न कुछ
खामोशियो को
जुबान दूँ
कुछ बेचैनियो को
नए आयाम दूँ
कुछ ज़ख्मो पर,
जिन पर खुरंट पड़ा है
सोचता हूँ, क्यों न उनको
फिर से उभार दूँ
क्यों न उन्हें भी आज
कागज़ पर उतार दूँ ..
आज आखिर वक़्त मिला तो
सोचा चंद शब्द
दिल की किताब
से लेकर लिख लूं
पर कुछ बातों को कागज़ पर
उतार पाना शायद मुमकिन नहीं होता ! !