Saturday, August 6, 2011
हम दोस्त थे, दोस्त हैं ओर हमेशा बने रहेंगे ....!!! :)
कुछ रिश्तें खुदा अपने से बनाता हैं...
और कुछ..उसे खुदा बनाते हैं..
ऐसे ही रिश्तें दोस्ती कहलाते हैं...!
दोस्त !
न उसमे वो खून होना चाहिए,
जो आपका हो..
न उसका वो रंग रूप होना चाहिए,
जो आपका हो..
न तो उसकी कोई उम्र हैं,
न ही उसमे कोई जबर हैं,
न इस रिश्तें का कोई नाम हैं
न ही यह रिश्ता बेनाम हैं..
ये रिश्ता, दुनिया की हर चीज़ से जोड़ता हैं..
ये रिश्ता,हर बंधन को तोड़ता हैं..
ये रिश्ता साथ निभाता हैं..
जब हर कोई मुहँ मोड़ता हैं..
इस रिश्तें में न कोई किसी से आगे बढता हैं
न ही किसी को पीछे छोड़ता हैं..
ये मेरा सलाम हैं उन दोस्तों को.
जिसने मेरी इस छोटी सी दुनिया को
जीना सिखाया है..
या यूँ कहू जिसने इस दुनिया को ..
दुनिया बनाया हैं ....!
Thursday, July 14, 2011
अब यह हालत जंग सी हैं ...!
घबराया सा दिल हैं ...
और आँखें भी नम सी हैं ..
खून से रंगी सड़कों पे ..
मौत ज्यादा और जिंदगी,
कम सी हैं ..!
...
अपने ही घर में..
डर-डर के जीता हूँ..
यहाँ जिंदगी पंगु..
दहशत दबंग सी हैं..
कब तक यु चुप चाप सहेंगे ?..
यह तेरा मेरा करने का वक़्त नहीं..
अब यह हालत जंग सी हैं ...!
Tuesday, April 12, 2011
इश्क!
इश्क तो जूनून हैं
इसमें यह धर्म,जात
कहाँ से आ गया ?
मेरा खुदा !
क्या तुमसे इश्क नहीं करता?
तो कौन था वो
जो इस बात को झूठा बता गया !!!
इसमें यह धर्म,जात
कहाँ से आ गया ?
मेरा खुदा !
क्या तुमसे इश्क नहीं करता?
तो कौन था वो
जो इस बात को झूठा बता गया !!!
Sunday, March 27, 2011
टीम जीतती नहीं हैं ..जीताना पड़ता हैं ...!
हिन्दुस्तानी हैं हम
जीत कर दिखायेंगे...!
चाहे कुछ भी हो जाये,
कप तो अब हम ही लायेंगे|
टीम जीतेगी नहीं तो क्या,
हम जीतायेंगे |
हिन्दुस्तानी हैं हम
जीत कर दिखायेंगे...!
दुनिया के युवराज हैं हम
अब 28 साल के इंतज़ार को,
हम मिटायेंगे|
मोहाली में पाक को..,
और वानखेड़े में हर नापाक को,
हम धुल चटायेंगे |
हिन्दुस्तानी हैं हम
जीत कर दिखायेंगे...!
Friday, March 25, 2011
कभी यूँ भी तो हो ....!
कभी यूँ भी तो हो ..
की मेरी तरह इश्क,
उसे मुझसे हो जाये |
एक पल की दूरी भी,
अब सही न जाये |
बातें आखों से हो,
और कुछ कहा न जाये |
इतनी बेचैन वो भी हो,
की मेरे सिवा अब,
उससे भी रहा न जाये |
कभी यूँ भी तो हो ....!
की मैं जब भी,उसे याद करूँ,
उसे भी मेरी,याद आ जाये |
इश्क की,जब भी बात चले,
तो जुबाँ पे,मेरा नाम आ जाये |
दो कदम,मैं आगे बढूँ ,
तो वो भी,
मेरी साथ आ जाये ..!
कुछ तो,खुदा..! ऐसा कर,
के मेरे पे,उसके इश्क की,
बरसात आ जाये ...!
कभी यूँ भी तो हो ....!
की मेरी तरह इश्क,
उसे मुझसे हो जाये |
एक पल की दूरी भी,
अब सही न जाये |
बातें आखों से हो,
और कुछ कहा न जाये |
इतनी बेचैन वो भी हो,
की मेरे सिवा अब,
उससे भी रहा न जाये |
कभी यूँ भी तो हो ....!
की मैं जब भी,उसे याद करूँ,
उसे भी मेरी,याद आ जाये |
इश्क की,जब भी बात चले,
तो जुबाँ पे,मेरा नाम आ जाये |
दो कदम,मैं आगे बढूँ ,
तो वो भी,
मेरी साथ आ जाये ..!
कुछ तो,खुदा..! ऐसा कर,
के मेरे पे,उसके इश्क की,
बरसात आ जाये ...!
कभी यूँ भी तो हो ....!
Wednesday, March 23, 2011
तू साथ दे ..!
तू साथ दे ..
तो मैं जीत लूँ ,
सारा जहाँ...!
तू हाथ दे ..
तो मैं थाम लूँ,
ये आसमान...!
तू प्यार दे ..
तो मैं मिटा दूँ ,
ये दूरियाँ...!
तू माँग ले ..
तो मैं बना दूँ
ये जन्नत यहाँ ...!
तो मैं जीत लूँ ,
सारा जहाँ...!
तू हाथ दे ..
तो मैं थाम लूँ,
ये आसमान...!
तू प्यार दे ..
तो मैं मिटा दूँ ,
ये दूरियाँ...!
तू माँग ले ..
तो मैं बना दूँ
ये जन्नत यहाँ ...!
Friday, March 18, 2011
शहज़ादी...!
धुप सुनहरी जब घट जाती हैं,
जब इंतज़ार में घड़ियाँ कट जाती हैं |
जब चढ़ने लगता हैं,
उसका नशा फिजा पर भी |
तब चुपके से,कही दूर से,
एक शहज़ादी आती दिखती हैं |
यह हवाएँ महकने लगती हैं,
यह घटाये चहकने लगती हैं |
यह फ़राज़ भी सिंदूरी हो जाता हैं,
यह मौसम भी गुनगुनाता हैं |
सब कुछ थम सा जाता हैं,
सब कुछ बदल सा जाता हैं |
मेरे चेहरे पे देखो,
वो ख़ुशी कुछ अलग सी होती हैं|
हर रोज़ मेरे इश्क में,
एक नयी ललक सी होती हैं |
यह दिल की धड़कन देखो,
कैसे यु बढ़ जाती हैं !
इस मुस्कराहट को देखो ,
कैसे छुट ती जाती हैं !
यह सब कुछ सपना लगता हैं,
पर फिर सब कुछ अपना लगता हैं|
वो चुपके से ,तुम जो आ जाती हो..|
तुम जो आ जाती हो ....!|
Tuesday, March 8, 2011
ख़ता
हमसे यह कैसी ख़ता हो गयी
नाम उसका अब मेरी दुआ हो गयी...!
बंद आँखों से ही देखो रज़ा हो गयी
एक पल की दूरी भी अब सज़ा हो गयी ...!
इसको क्या मैं प्यार कहू ?
की अब वो मेरी हर ख़ुशी की वजह हो गयी ...!
नाम उसका अब मेरी दुआ हो गयी...!
बंद आँखों से ही देखो रज़ा हो गयी
एक पल की दूरी भी अब सज़ा हो गयी ...!
इसको क्या मैं प्यार कहू ?
की अब वो मेरी हर ख़ुशी की वजह हो गयी ...!
Sunday, March 6, 2011
सुकून
कैसी ख्वाहिश हैं मेरी
कैसा यह जुनून है ...!
इश्क ऐसे दौड़ता हैं रगों मे
जैसे यह खून हैं ...!
उन कोनो में भी उजाले ढूंड लेता हूँ
जहाँ गलियां भी सुन हैं ...!
मुश्किलें हैं ...!
पर अब वो भी मुझसे इश्क करने लगी हैं
मुझे बस इसी बात का सुकून हैं ...!
कैसा यह जुनून है ...!
इश्क ऐसे दौड़ता हैं रगों मे
जैसे यह खून हैं ...!
उन कोनो में भी उजाले ढूंड लेता हूँ
जहाँ गलियां भी सुन हैं ...!
मुश्किलें हैं ...!
पर अब वो भी मुझसे इश्क करने लगी हैं
मुझे बस इसी बात का सुकून हैं ...!
तुम...!
मेरी कमजोरी भी तुम
और ताकत भी...!
मेरी नादानी भी तुम
और नज़ाकत भी ...!
मेरी सजा भी तुम हो
और शिकायत भी ...!
क्या कहूँ तुमको ?
मेरी बेचैनी भी तुम हो
और राहत भी ..!
और ताकत भी...!
मेरी नादानी भी तुम
और नज़ाकत भी ...!
मेरी सजा भी तुम हो
और शिकायत भी ...!
क्या कहूँ तुमको ?
मेरी बेचैनी भी तुम हो
और राहत भी ..!
Monday, February 21, 2011
मेरी फितरत से जरा बच के रहना दोस्तों...!
जो खुद को जला कर खुश होते हैं ...
मैं उन हैवानो की बस्ती से आया हूँ...!
उस जमीन को लेकर लड़ते हैं ,
जो उनकी खुद की नहीं ...
मैं उन मेहमानों की बस्ती से आया हूँ ...!
खुदा के नाम पे जो खून बहा दे ..
मैं उन दीवानों की बस्ती से आया हूँ ...!
इश्क में भी जो ढूंढे जात पात
मैं उन आशिको के घुटते,
अरमानो की बस्ती से आया हूँ ...!
मेरी फितरत से जरा बच के रहना दोस्तों...
मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!
मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!
मैं उन हैवानो की बस्ती से आया हूँ...!
उस जमीन को लेकर लड़ते हैं ,
जो उनकी खुद की नहीं ...
मैं उन मेहमानों की बस्ती से आया हूँ ...!
खुदा के नाम पे जो खून बहा दे ..
मैं उन दीवानों की बस्ती से आया हूँ ...!
इश्क में भी जो ढूंढे जात पात
मैं उन आशिको के घुटते,
अरमानो की बस्ती से आया हूँ ...!
मेरी फितरत से जरा बच के रहना दोस्तों...
मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!
मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!
Wednesday, February 2, 2011
जिन रिश्तों को हम सर्द समझते रहे ...!
हम लोगो के दर्द समझते रहे ..
और लोग हमें बेदर्द समझते रहे .. !
मेरे दुश्मन भी वो लोग निकले ...
जिन्हें अपना हमदर्द समझते रहे ...!
हमें क्याँ मालूम था की इश्क वहाँ से मिलेगा
जिन रिश्तों को हम सर्द समझते रहे ...!
हम तो खामोखा उनको बेदर्द समझते थे ...
पर वो थे जो चुपके से मेरा दर्द समझते रहे ...!
मेरा दर्द समझते रहे...!
Tuesday, February 1, 2011
मुझे मुस्कुराये ज़माने हो गए ...!
वो कागज़ जिसपे तेरे प्यार के नगमे लिखे थे ....
अब वो पुराने हो गए ...!
उन पुरानी तस्वीरो को देखता हूँ तो याद आता है ...
की मुझे मुस्कुराये ज़माने हो गए ...!
तुझे भूलने की बहुत कोशिश करता हूँ ...
पर अब तो यह तेरी याद के बहाने हो गए ...!
वो किताबो में रखा,तेरा दिया फूल,मुरझा गया हैं ...
अब तो मेरे अपने भी मुझसे बेगाने हो गए ...!
हमने सजाया था इन ख्वाबो को शामियाने की तरह ...
पर तुने यह क्या किया?यह तो उजड़े महखाने हो गए ...!
लोग हँसते हैं मेरी इस हालत पे ...खेर खुश होगी तू ?
अब मेरी बर्बादी के किस्से भी फ़साने हो गए ..!
अब वो पुराने हो गए ...!
उन पुरानी तस्वीरो को देखता हूँ तो याद आता है ...
की मुझे मुस्कुराये ज़माने हो गए ...!
तुझे भूलने की बहुत कोशिश करता हूँ ...
पर अब तो यह तेरी याद के बहाने हो गए ...!
वो किताबो में रखा,तेरा दिया फूल,मुरझा गया हैं ...
अब तो मेरे अपने भी मुझसे बेगाने हो गए ...!
हमने सजाया था इन ख्वाबो को शामियाने की तरह ...
पर तुने यह क्या किया?यह तो उजड़े महखाने हो गए ...!
लोग हँसते हैं मेरी इस हालत पे ...खेर खुश होगी तू ?
अब मेरी बर्बादी के किस्से भी फ़साने हो गए ..!
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