कभी यूँ भी तो हो ..
की मेरी तरह इश्क,
उसे मुझसे हो जाये |
एक पल की दूरी भी,
अब सही न जाये |
बातें आखों से हो,
और कुछ कहा न जाये |
इतनी बेचैन वो भी हो,
की मेरे सिवा अब,
उससे भी रहा न जाये |
कभी यूँ भी तो हो ....!
की मैं जब भी,उसे याद करूँ,
उसे भी मेरी,याद आ जाये |
इश्क की,जब भी बात चले,
तो जुबाँ पे,मेरा नाम आ जाये |
दो कदम,मैं आगे बढूँ ,
तो वो भी,
मेरी साथ आ जाये ..!
कुछ तो,खुदा..! ऐसा कर,
के मेरे पे,उसके इश्क की,
बरसात आ जाये ...!
कभी यूँ भी तो हो ....!
1 comment:
Very well written . Striking where it matters
Post a Comment