
घबराया सा दिल हैं ...
और आँखें भी नम सी हैं ..
खून से रंगी सड़कों पे ..
मौत ज्यादा और जिंदगी,
कम सी हैं ..!
...
अपने ही घर में..
डर-डर के जीता हूँ..
यहाँ जिंदगी पंगु..
दहशत दबंग सी हैं..
कब तक यु चुप चाप सहेंगे ?..
यह तेरा मेरा करने का वक़्त नहीं..
अब यह हालत जंग सी हैं ...!