Wednesday, November 12, 2008
हम तो सिर्फ़ हिन्दुस्तानी हैं,हमें वोहि रहने दो
पिछले कुछ दिनों से मैं अपनी परीक्षा में व्यस्त था इसलिए अपने विचार प्रकट नही कर पाया...
पर पिछले दिनों देश में हो रही घटनाओ ने मुझे व्याकुल कर दिया और अपनी कलम का मुख खोलने पर मजबूर कर दिया ....इन सभी घटनाओ में जिसने ने मुझे सबसे जयादा परेशान किया वो हैं क्षेत्रवाद की राजनीती!!!
सन 1947 में एक बँटवारे को झेलने के बाद शायद ही कोई देशवासी एक और बँटवारे की चाह रखता होगा...और नए पकिस्तान के बारे सोचता होगा...पर हमारे देश का दुर्भाग्य हैं की हमारे नेताओ में कोई न कोई "जिन्ना" बनने की चेष्टा समय-समय पर करता रहता हैं...और उनका मकसद उस क्षेत्र की जनता का विकास करना नही बल्कि अपनी जेब भरना और सत्ता पर काबिज होना हैं ... ऐसे वक्त में देश की जनता को चाहिए की वो आगे आए और देश की एकता को बनाये रखने के लिए इन सोच के नेताओ को जड़ो से उखड फेके ....
इस हालत पर देश की जनता और इन नेताओ से मेरा यही आह्वान हैं ....
अरे इन नए "जिन्नाओ"की बातों में न आओ,
इन्हे जो कहना हैं,इन्हे कहने दो ।
नही बनना हमें मराठी या बिहारी,
हम तो सिर्फ़ हिन्दुस्तानी हैं,हमें वोहि रहने दो ।।
निज स्वार्थ में अंधे इन लोगो का क्या हैं?
सोचते हैं,जितना खून बहता हैं,बहने दो ।
देश का विकास गया भाड़ में,
जनता का पैसा अपने अकाउंट में सुरक्षित रहने दो॥
अरे जल्लादों,कम से कम अब तो खुश रहो।
हमें तो मत बाटों,हम तो सिर्फ़ हिन्दुस्तानी हैं,हमें वोहि रहने दो।।
ख़ुद आलीशान बंगलो में बैठे रहे ,
क्या फर्क पड़ता है,आम आदमी को जो सहना हैं,उसे सहने दो।
अभी तो कुछ "राहुलो"का खून बहा हैं,अभी तो औरो का भी बहने दो॥
अरे हमें अब तो बख्श दो!!और इस तांडव को रोको ।
हमें मत बांटो ,हम तो सिर्फ़ हिन्दुस्तानी हैं,हमें वोहि रहने दो।।
अब जरुरत हैं हमें एक साथ इस के ख़िलाफ़ आवाज उठाने की और "इस" प्रकार की घटिया सोच रखने वाले लोगो को यह बताने की पहले हमारा देश हैं और हम हिन्दुस्तानी हैं, बाद में हम पंजाबी,राजस्थानी,मराठी,गुजरती ,बिहारी या अपने अपने राज्यों और क्षेत्रो से हैं..आइये इस मुहीम को आगे बढाइये और देश को विकास के पथ पर ले चलिए...
जय हिंद !
(मुझे पहले अपने हिन्दुस्तानी होने पर गर्व हैं न की राजस्थानी)।
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6 comments:
balle balle , narayan narayan
अच्छा लिखा है आपने. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
are mere bhai kitnon ko samjhayea ye kavita sunakar...kuch log hain jinhe pata nahi ki khoon ka rang kaisa hota hai...kuch ne toh pahali baar mumbai attack me khoon dekha hai..ye nahi jante ki border kya hota hai...kyonki border par chalne wali goli ki aawaz kuch regionelism karne wale leaders tak kabhi pahunchi hi nahi..wo toh panjab, rajasthan aur j&k..ya north east tak hi simatkar rha jaati hai...so they dont know anything about "partition" and its consequences...
आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
gud beta........u r a real AAMIR HINDUSTHANI........................NAZIM BERI>
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