किसको देगा सजा तू
कहीकोई काफिर तो हो|
तू तो ख़ुद बंट चुका हैं||
आख़िर अब तेरा सच जाहिर तो हो....
कहा न ढूंढा तुझे मैंने?
इन पथ्थरो के पीछे कोई ईश्वर तो हो|
बहुत सजदे कर लिए तेरे सामने||
आख़िर अब तेरा सच जाहिर तो हो....
इस सच-झूट की उधेड़बुन में
बहुत थक चुका हूँ मैं|
इस अथाह खोज की चाहत में
कही कोई साहिल तो हो ||
आख़िर अब तेरा सच जाहिर तो हो ....
कितना खून बह चुका हैं तेरे नाम पर
तू कातिल हैं या मसीहा ??|
कम-स-कम तेरे अपने तेरे रूप से वाकिफ तो हो
आख़िर अब तेरा सच जाहिर तो हो ....
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