आज जो बात मैं यहाँ करने जा रहा हूँ वो शायद मेरे ओर आपके अस्तित्व को ही हिला कर रख दे.....
कुछ दिनों से मेरे मन में एक बात चल रही थी, एक दिन मैं मेरे दोस्तों के साथ बैठा था तो हम लोग आपस मैं बात कर रहे थे,मेरा एक बंगलादेशी दोस्त बोल रहा था की उनके यहाँ पर हिन्दुओ को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता हैं|बांग्लादेश एक मुस्लिम देश हैं तो उन लोगो के साथ अच्छा बर्ताव नही किया जाता हैं|तो वो बता रहा था की
मुस्लिम लोग अच्छे नही हैं,मैं भी वही था,हालाँकि मेरी सहमति के बाद ही उसने यह सब बोलना शुरू किया.....
पर उस दिन के बाद से जो चीज़ मेरे दिमाग मे चल रही थी वो ओर तेज़ी के साथ चलने लगी....वो बात थी "धर्म" के बारे
में|मैं यह सोच रहा था की जिस इस्लाम को में मानता हूँ,ओर मैं ख़ुद एक मुस्लमान हूँ(सिर्फ़ इसलिए क्यों की मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ हूँ,मैं आगे अपने धर्म के बारे में लिखूंगा ) उस हिसाब से जिस धर्म को में मानता हूँ वो तो किसी ओर तंग करने का या लोगो का बुरा करने का नही कहता...तो फिर मेरा दोस्त जिन लोगो के बारे में बात कर रहा हैं वो कौनसे धर्म के हैं? वो सही वाले मुस्लिम हैं या मैं सही धर्म को जानता हूँ?या हम दोनों ही उस धर्म के नही हैं ??
यह कुछ बातें मेरे जेहन में उठने लगी जिन्होंने मुझे हिला कर रख दिया|मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया की "धर्म" क्या हैं?और कौन सही हैं में या वो??
इन सवालो के जवाब में मुझे जो मिला वो बहुत ही खतरनाक था ,और जिसका जवाब शायद हमारे वजूद को हिला के रख दे.......
मैंने जब इस बात पर सोचना शुरू किया तो उसका यह परिणाम निकल के आया............
"फिलहाल मेरा कोई मजहब(धर्म) नही हैं,मेरा नाम इस्लाम के साथ जुडा हैं क्योंकी यह नाम मुझे मेरे परिवार से मिला हैं,या यूँ कहूँ इश्वर को पाने का यह रास्ता मेरे घर वालो ने चुना,
और उनके हिसाब से येही सब से अच्छा और सही रास्ता हैं,इसलिए उन्होंने मुझे भी इसी रस्ते पर चलना सिखाया"
इस बात से यह तो साफ़ हो गया की "धर्म" सिर्फ़ रस्ते हैं ईश्वर तक पहुचने का|और अभी मैं उसी हालत में हूँ जिस हालत में जब पैदा हुआ था तब था सिर्फ़ इतना अन्तर हैं की मेरे साथ मेरे रस्ते का नाम जोड़ दिया गया हैं,जिस पर मैं कभी चला या चलना चाहूँ यह नही पता|
पर एक बात जो मेरे को बार बार विचलित कर रही हैं वो हैं की मैं मुस्लमान हुआ कहा?उदहारण के लिए मैं इंजीनियरिंग का स्टुडेंट हूँ,पर अभी न तो मेरे पास डिग्री हैं न कोई एक्सपेरिएंस,तो
क्या मैं इंजिनियर हूँ??अगर मैं किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ही न लूँ या मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई ही न करूँ तो क्या मैं इंजिनियर बन
पाऊंगा??....इसका जवाब न ही हैं,उसी तरह जिस "धर्म" को अभी मैंने 5% भी नही जाना उसके साथ मेरा नाम जोड़ दिया गया और यह मान लिया गया की मैं उस धर्म का हूँ क्या यह सही हैं???
क्यों मुझे पहले धर्म के बारे में जान लेने नही दिया गया??
जब मैं पैदा हुआ था तब तो मेरे नाम के आगे इंजिनियर नही लिखा गया था तो यह धर्म क्यों
जोड़ दिया गया?
क्या यह सही हैं की जिस रास्ते पर मेरे पूर्वज चले हैं उससे रास्ते पर मैं भी चलूँगा तो मुझे ईश्वर मिल ही जाएगा.......हाँ यह जरुर हैं की इस रास्ते को उन्होंने जाना हैं इसलिए उन्होंने मुझे इस पर चलने की सलाह दी गई
पर यहाँ कही ऐसा नही लगता की यह मुझ पर थोपा गया हैं???
यहाँ मैं मेरे साथ हुई किसी बात को नही लिख रहा हूँ....यह सब तो वो सवाल हैं जो हर इंसान को अपने आप से पूछने होंगे...मैं और मेरा परिवार सिर्फ़ इसका हिस्सा हैं|यह तो सबसे बेसिक प्रश्न हैं....क्या आपने कभी अपनी जिंदगी का थोड़ा सा भी वक्त इस बात के लिए निकला हैं???
क्या आपको लगता हैं वो लोग जो "धर्म" के नाम पर ग़लत काम करते हैं वो उस धर्म के हैं ...दुनिया का शायद ही कोई धर्म आतंक फैलाने को कहता होगा|तो फिर वो लोग जिनके बारे में मेरा दोस्त कह रहा था क्या वो भी मेरी तरह के मुस्लमान हैं जिनका नाम तो यह कहता हैं की वो मुस्लिम हैं पर वो उस धर्म के नही हैं|तो आप ही बताइए की अगर कोई आदमी जो नाम से मुस्लमान हो और उसको उस धर्म का कुछ भी ज्ञान न हो तो उसका उस धर्म से
क्या वास्ता??
मतलब इंसान ग़लत हो सकता हैं धर्म नही.......
तो फिर क्यों हर आदमी को पैदा होते ही एक धर्म का तमगा पहना दिया जाता हैं,जिस पर वो बाद में चले या नही
पर उसे उस धर्म के नाम का ग़लत फायदा उठाने का मौका मिल जाता हैं ???
क्या यह आतंकवाद और यह सब इसलिए ही तो नही हो रहा क्युकि हम कही कमझोर पड़ रहे हैं.....कोई बहुत छोटी सी चीज़ जो हमारे मूल से जुड़ी हुई हैं और जिसपे हम बात करने से डरते हैं या करना ही नही चाहते ??यही उसका कारण हैं ??