Monday, July 20, 2009

बेबसी!!


जितना दूर जाता हूँ तुझसे,
उतना और करीब आ जाता हूँ मैं|
बेचैनिया चाहे कितनी हो,
हर वक्त मुस्कुराता हूँ मैं||

बहुत बेबस हूँ मैं!!

ना प्यार दिखा सकता हूँ,
ना अपना गम बता सकता हूँ मैं |
जब भी होती हैं तू मेरे सामने,
सिर्फ़ आँखे झुका सकता हूँ मैं||
बहुत बेबस हूँ मैं!!

तुझे भुलाना तो सम्भव नही ,
सिर्फ़ फासले बड़ा सकता हूँ मैं|
मेरे पास तुझे देने को कुछ नही,
बस,तेरे लिए,अपनी हस्ती मिटा सकता हूँ मैं||

बहुत बेबस हूँ मैं!!

मेरी बेबसी का आलम तो देखो,
यहाँ लिख के जज्बात दुनिया को दिखा सकता हूँ मैं|
पर जब भी तुम मेरे साथ होती हो,
बेजुबान होकर,सिर्फ़ खामोशियाँ बड़ा सकता हूँ मैं ||

बहुत बेबस हूँ मैं!!

2 comments:

Unknown said...

khan saheb...keep it up...
khuda se yeh pray karta hun ki aapki beebashi ab khatm ho jaye...

Raunaq Kothari said...

Bhai awesum.... matlab had ho gayi hai ab toh... 'm speechless... kya baat hai yaar maza aagaya it was sumthin touchin and a realistic description of wat u feel wen u fall in luv and u can't tell it...
Bhai keep it up..
'm goin fida day by day on ur poems...

Enjoy...

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails