वक़्त बीता,मन जीता
खूब विचरा,प्रेम के आकाश में
दिल गिरा,फिर संभला
फिर मुसाफिर चल पड़ा हैं
प्यार की तलाश में
पतझड़ आए,मौसम बदले
वृक्षों ने अपने पत्ते बदले
फिर सुहानी ऋतू आई
तृप्त सूरज ने जोत जलाई
नए जीवन के विकास में
फिर से पंछी उड़ चला हैं
नए गगन की आस में
फिर मुसाफिर चल पड़ा हैं
प्यार की तलाश में
समय ने अपना चक्र बदला
आतंक मचा,विनाश हुआ
धुआं उठा,अंधकार बड़ा
इधर भागे,उधर भागे
जुगनू पकड़े,प्रकाश के आभास में
प्रेम के सूरज की किरने,
फिर उठने लगी आकाश में
क्रुन्दन की आवाजों को बदला
सुरों में और साज में
फिर मुसाफिर चल पड़ा है
प्यार की तलाश में
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