Sunday, June 14, 2009

या खुदा!काश तू इन मन्दिर,मस्जिद,दरगाहों मे होता

या खुदा!अगर तू इन मन्दिर,मस्जिद,दरगाहों मे होता
तो बैठा करते इनके द्वारे
और अपना शुमार भी आकाओ मे होता|
जिस मौत के डर से बचकर जीते है जिंदगी
तब वोह डर भी अपनी पनाहों मे होता||
या खुदा!काश तू इन मन्दिर,मस्जिद,दरगाहों मे होता

चलते अपनी मंजिल की ओर
और तेरा हर फ़ैसला मेरी राहों मे होता|
इन रहबरों मे इतनी ताकत होती
तो मेरा हर सपना,मेरी बाँहों मे होता||
या खुदा!काश तू इन मन्दिर,मस्जिद,दरगाहों मे होता

करता मैं हजारो गुनाह
और मेरा फ़ैसला बेगुनाहों मे होता|
तेरा बस चलाता,और मेरा चर्चा हर दिशाओं मे होता||
या खुदा!काश तू इन मन्दिर,मस्जिद,दरगाहों मे होता

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