वक़्त किसी के आने का इंतज़ार नहीं करता
सूरज कभी रात का दीदार नहीं करता|
होंसला हो तो आगे बढ़ निकलो !!!
क्यूंकि, रोता हैं वो जो इज़हार नहीं करता||
कमजोर हो जिगर तो, इतिहास नहीं गढ़ता|
झूठी हो बुनियाद तो ,विश्वास नहीं बढता ||
डूबते सूरज को तो, कोई भी,नमस्कार नहीं करता|
जज्बा हो तो कर डालो!!!
क्यूंकि, वक़्त किसी के आने का इंतज़ार नहीं करता||
बेकार लकड़ियों से नाविक,नौका तैयार नहीं करता|
वीर तो वो हैं, जो पीछे से वार नहीं करता||
आशिक होता तो,मुमताज की मौत का इंतज़ार नही करता|
चाह हैं तो कह डालो !!!
क्यूंकि,फिर कोई न कह सके की मैं उससे "प्यार" नहीं करता||
वक़्त किसी के आने का इंतज़ार नहीं करता, इंतज़ार नहीं करता
3 comments:
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।बधाई स्वीकारें।
Bahut khub...sundar rachana!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
शानदार रचना!
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