Monday, February 8, 2010

इज़हार

वक़्त किसी के आने का इंतज़ार नहीं करता

सूरज कभी रात का दीदार नहीं करता|

होंसला हो तो आगे बढ़ निकलो !!!

क्यूंकि, रोता हैं वो जो इज़हार नहीं करता||



कमजोर हो जिगर तो, इतिहास नहीं गढ़ता|

झूठी हो बुनियाद तो ,विश्वास नहीं बढता ||

डूबते सूरज को तो, कोई भी,नमस्कार नहीं करता|

जज्बा हो तो कर डालो!!!

क्यूंकि, वक़्त किसी के आने का इंतज़ार नहीं करता||



बेकार लकड़ियों से नाविक,नौका तैयार नहीं करता|

वीर तो वो हैं, जो पीछे से वार नहीं करता||

आशिक होता तो,मुमताज की मौत का इंतज़ार नही करता|

चाह हैं तो कह डालो !!!

क्यूंकि,फिर कोई न कह सके की मैं उससे "प्यार" नहीं करता||



वक़्त किसी के आने का इंतज़ार नहीं करता, इंतज़ार नहीं करता

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।बधाई स्वीकारें।

रानीविशाल said...

Bahut khub...sundar rachana!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

Udan Tashtari said...

शानदार रचना!

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