Thursday, September 16, 2010

प्यार को प्यार ही रहने दो,कोई नाम ना दो!


प्यार को प्यार ही रहने दो,कोई नाम ना दो!
आँखों से पी ली हैं थोड़ी,लबों को अब जाम ना दो,
उनको देखते ही यकीन हो उठता हैं,की मैं वो ना रहा|
दिल तो बच्चा हैं,उसे इलज़ाम ना दो|
प्यार को प्यार ही रहने दो,कोई नाम ना दो...

रिश्तों के मायने क्या हैं?यह तो मालूम नहीं
तुम अपने लरजते लबो से,इन लफ्जों को,नए आयाम ना दो|
यह दिल जो चाहता हैं उसे वोही करने दो,
नादान हैं,सिर्फ प्यार करता हैं,इसे कोई दूजा काम ना दो|
प्यार को प्यार ही रहने दो,कोई नाम ना दो...

हर धड़कन मुझे तेरे होने का एहसास देती हैं,
इस नब्ज़ को चलने दो,आराम ना दो|
शुरुवात ही इतनी खूबसूरत हैं,के दिल मेरा भरता नहीं,
रहने दो इसी हालत में,अभी कोई मुकाम ना दो |
प्यार को प्यार ही रहने दो,कोई नाम ना दो
नाम ना दो.....

2 comments:

Ankit Singh said...

awesome...really love the smoothness of ur poems.

Unknown said...

Sahi hai Aamir!

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