जाते हुए कदम मेरे ठिठक से गए है,
न जाने किसकी नज़र ने,मेरी नज़र को,संभलने से रोका हैं|
यूहि कब से खामोश सा खड़ा हूँ,एक ही जगह पर,
न जाने कौन हैं वो,जिसने आगे बढने से रोका हैं||
वो खुले बालों की,लटों मे से दिखती,शर्मीली सी हंसी
क्या यह वो तो नहीं,जिसने दो पल को,मेरे दिल को,धडकने से रोका हैं|
समज ही नहीं पा रहा की क्या हुआ ?
हकीक़त हैं या सिर्फ नजरो का धोखा हैं||
उसकी उन झुकी नज़रों ने,तो गज़ब का कहर ढहाया
बेसुध हूँ,बैचैन खड़ा हूँ
न बचा हूँ,न बचने का मौका हैं,
हे इश्क!तू फिर आ गया
हद करता हैं,न कभी खुद रुका हैं,न कभी मुझको रोका हैं
1 comment:
ekdam mast really nice ..
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