जो खुद को जला कर खुश होते हैं ...
मैं उन हैवानो की बस्ती से आया हूँ...!
उस जमीन को लेकर लड़ते हैं ,
जो उनकी खुद की नहीं ...
मैं उन मेहमानों की बस्ती से आया हूँ ...!
खुदा के नाम पे जो खून बहा दे ..
मैं उन दीवानों की बस्ती से आया हूँ ...!
इश्क में भी जो ढूंढे जात पात
मैं उन आशिको के घुटते,
अरमानो की बस्ती से आया हूँ ...!
मेरी फितरत से जरा बच के रहना दोस्तों...
मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!
मैं इंसानों की बस्ती से आया हूँ ....!
1 comment:
wah re 21 V sadi ke "GHALIB"
tu ab tak kyu chhipa rha
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