Friday, March 25, 2011

कभी यूँ भी तो हो ....!

कभी यूँ भी तो हो ..

की मेरी तरह इश्क,
उसे मुझसे हो जाये |
एक पल की दूरी भी,
अब सही न जाये |
बातें आखों से हो,
और कुछ कहा न जाये |
इतनी बेचैन वो भी हो,
की मेरे सिवा अब,
उससे भी रहा न जाये |

कभी यूँ भी तो हो ....!

की मैं जब भी,उसे याद करूँ,
उसे भी मेरी,याद आ जाये |
इश्क की,जब भी बात चले,
तो जुबाँ पे,मेरा नाम आ जाये |
दो कदम,मैं आगे बढूँ ,
तो वो भी,
मेरी साथ आ जाये ..!
कुछ तो,खुदा..! ऐसा कर,
के मेरे पे,उसके इश्क की,
बरसात आ जाये ...!

कभी यूँ भी तो हो ....!

1 comment:

Mridul Shandilya said...

Very well written . Striking where it matters

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