Sunday, March 6, 2011

सुकून

कैसी ख्वाहिश हैं मेरी
कैसा यह जुनून है ...!
इश्क ऐसे दौड़ता हैं रगों मे
जैसे यह खून हैं ...!
उन कोनो में भी उजाले ढूंड लेता हूँ
जहाँ गलियां भी सुन हैं ...!
मुश्किलें हैं ...!
पर अब वो भी मुझसे इश्क करने लगी हैं
मुझे बस इसी बात का सुकून हैं ...!

1 comment:

Mridul Shandilya said...

Well written .... Short but still effective.

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