AK's
Sunday, March 6, 2011
सुकून
कैसी ख्वाहिश हैं मेरी
कैसा यह जुनून है ...!
इश्क ऐसे दौड़ता हैं रगों मे
जैसे यह खून हैं ...!
उन कोनो में भी उजाले ढूंड लेता हूँ
जहाँ गलियां भी सुन हैं ...!
मुश्किलें हैं ...!
पर अब वो भी मुझसे इश्क करने लगी हैं
मुझे बस इसी बात का सुकून हैं ...!
1 comment:
Mridul Shandilya
said...
Well written .... Short but still effective.
August 20, 2011 at 12:43 AM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
LinkWithin
1 comment:
Well written .... Short but still effective.
Post a Comment