Saturday, September 20, 2008

ए.बी.यू रोबोकोन 2008 ---तकनीक से रूबरू

भारत
ज्ञान का सिरमौर और अपने अतिथिसत्कार के लिए प्रसिद देश----और इन विशेषताओ का जीवांतउदहारण बना तकनीकी दक्षता का खेल -.बी.यू रोबोकोन


.बी.यू रोबोकोन--एशिया-प्रशांत महाद्वीप के प्रसारण समूहों द्वारा साझा रूप से किया गया प्रयास...
सन२००२ में प्रारं किया गया यह आयोजन आज एक सफल और वैश्विक रूप ले चुका हैं..और तकनीकी दुनिया में अपना एक अलग स्थान बना चुका हैं|इस विशाल तकनीकी मेले का सफल आयोजन करना भी एक चुनौती का काम हैं और इस वर्ष इस तकनीकी महाकुम्भ का आयोजन करने का मौका मिला हमारे देश भारत को|'दूरदर्शन' भारत की तरफ़ से प्रसारण समूह का हिस्सा हैं|इसलिए इस मेले का आयोजन दूरदर्शन और एम्.आइ.टी पुणे समूह द्वारा साझा रूप से किया गया|इस खेल की परम्परा अनुसार हर वर्ष इस मेले का आयोजन करने वाला देश ही इसमे होने वाले खेल का विषय चुनता हैं..और क्योंकि भारत में इसका आयोजन हो रहा था इसलिए इसका विषय चुना गया..भारत में मनाया जाने वाले एक विशेष त्योहार ..."जन्माष्टमी" ..इस त्यौहार में एक सांकेतिक खेल का आयोजन किया जाता हैं जो की "दही-हांडी" के नाम से प्रसिद्द है|इस खेल में गोविन्दाओं को मानव सूचीस्तंभ का निर्माण कर ऊचाई पर लगी हंडी को फोड़ना होता हैं पर इस बार यह काम करना था मानव निर्मित मशीनों को... और मशीनों द्वारा किए जाने वाला कृत्य अपने आप में एक अजूबा था | एम्.आइ.टी का छात्र होने के नाते मुझे मौका मिला इस महामेले को प्रत्यक्ष रूप से देख पाने का...
पूरे महाद्वीप से आई विभिन् देशो की तकनीकी दक्षता को देख पाना और मशीनों को आदमी के द्वारा किए जाने वाले कृत्य करतेदेखना मेरे जैसे किसी भी इंजिनियर के लिए सौभाग्य की बात होगी...इस तरीके के आयोजनों से केवल एक दुसरे की तकनीकी दक्षता को समझने का मौका मिलता हैं बल्कि हमें एक दुसरे की संस्कृतियो और परम्पराओ को जानने का भी मौका मिलता हैं
अब वापस से तकनीकी दक्षता की बात करते हैं..इस बार हमें चीन,हांगकांग,कोरिया,इंडोनेशिया,मिश्र..और इन जैसे कई छोटे बड़े देशो के द्वारा बनाये गए दक्ष यन्त्रमानवों को देखने और उनमे उपयोग में लायी गई तकनीक को पास से देखने का मौका मिला..और उन्हें देख कर लगा की इतने छोटे देश भी भारत जैसे विशालकाए देश से तकनीकी रूप से कई गुना बेहतर हैं...हालाँकि ऐसा नही हैं की भारत तकनीकी रूप से असक्षम या कमज़ोर हैं लेकिन फिर भी हमें अभी कई दिशाओ में अपना विकास करना हैं और अपने आप को दुनिया के समकक्ष लेकर आना हैं |
इस तरीके के आयोजन देश के तकनीकी विकास और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं|इस प्रकार के आयोजन के लिए हमें दूरदर्शन और एम्.आइ.टी, पुणे समूह का आभारी होना चाहिए जिन्होंने अपने दृढ निश्चय के बल पे इस महाकुम्भ को सफलता पूर्वक आयोजन किया और देश के इंजीनियरिंग छात्रों और संस्थानों के लिए नए द्वार खोले...

अंत में यही कहना चाहूँगा की हमें कोशिश जारी रखनी होगी और अपने आप को तकनीकी दुनिया की नई ऊचाइयों तक पहुचाना होगा.......और यही कहूँगा

"जो सफर इख्तियार करते हैं,
वो ही मंजिल को पार करते हैं|
बस एक बार चलने का हौसला तो रखिये,
ऐसे मुसाफिरों का तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं||"

जय हिंद.

1 comment:

Unknown said...

Buddy its nice to know that you have made such an effort and trust me its a breezy read , a perfect thing for youngsters...your poetry is your strong part and the ending proves it....i guess this poetry was on the lines of another of ur poetry.
Himmat hai quwwat hain bandh kamar ...that one on the same lines not the same . Appreciated

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