Wednesday, September 24, 2008

मेरा परिचय



कभी रोता हूँ,कभी हँसता हूँ,
हर इंसान के किसी कोने में,"मैं" बसता हूँ|
उस की हर चाहत को,थोड़ा ही सही,मैं,समझता हूँ ||

कभी दौड़ता हूँ,तो कभी थक कर बैठ जाता हूँ,
अपनी जीत,अपनी हार,सब पर मुस्कराता हूँ|
हारना भी जरुरी हैं,इस बात को भी मैं,समझता हूँ||

जलता हैं परवाना,शंमा के पास जाने पर,
ख़ुद दीवाना हूँ|
इसलिए परवाने की इस चाहत को भी मैं,समझता हूँ||

चाहे आग की तपीश हो,या किसी बेसहारा का गम
लिखता हूँ,इसलिए हर दर्द समझता हूँ|

अगर किसी जंग में अकेला हूँ तो क्या,
मैं हर वक्त इस कलम को,अपनी ताकत,समझता हूँ |

1 comment:

Unknown said...

the peom really describes u . i am really happy to know the other hidden side of your personality. i too feel that your potential is in your creative , reality writing... continue to do .. the teacher in me wishes , blesses u to grow in all horizons

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