अपने हर कदम,हर लक्ष्य पर विचार कर
अपनी जीत,अपनी हार,सब चीज़ को स्वीकार कर
हर कमजोरी पर,विश्वास का प्रहार कर
हर लक्ष्य पर तू जीत की हुंकार भर
चल निकल और सफर इख्तियार कर
और इस डगर पर बढ़ मंजिल को तू पार कर
गौतम,महावीर,मोहम्मद का प्रचार कर
स्वीकार कर,स्वीकार कर,इंसानियत स्वीकार कर
इस राह पर चल अपनी आत्मा का उद्धार कर
और जोश,होश से अपनी जीत का इंतज़ार कर
No comments:
Post a Comment