दिख भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
वक्त के साथ तो रिश्ते भी बदल जाते हैं|
जो कभी हमारे बिना अधूरे थे,
आज हमसे कोसो दूर नज़र आते हैं||
शायद इंसान की फितरत में है यह,
गिरगिट की तरह रंग बदलते जाते हैं|
जिसके लिए जिया करते थे वोह,
आज आपस में दुश्मन कहलाते हैं||
हम तो समझते थे की पत्थर भी पिघल जाते हैं,
पर यहाँ तो ख़ुद अपने ही ठोकर लगाते हैं|
हम तो उनकी मोहब्बत में गिरफ्तार हैं यारो,
ठोकरे खा के भी नासमझ ही कहलाते हैं||
जिन पर भरोसा किया करते थे,
वक्त आने पर वोही लोग बदल जाते हैं|
अब तो दिख भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
छोड़ो यारो!!क्यो हम उनके लिए आँसू बहाते हैं [;) ]||
1 comment:
thankx buddy its so nice
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